तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल तुम तो खोये कुंज गलिन में | tumhe dhundhe kahan gopal tum to khoye kunj galin me

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तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

ये भी देखें – तुम ढूंढो मुझे गोपाल।

ना पांव में पायल के स्वर,
ना मुरली की ताने,
ना गोपी हैं ना ग्वाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

न कोयल की कूक सुनावे,
न झरनों का झर झर,
न दीखे कदम की डाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

न यमुना तट न वंशी वट,
न गोकुल का दीखे पनघट,
न कोई तलैया ताल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

न राधा न ललिता दीखे,
न माखन की मटकी,
न ‘राजेन्द्र’ नंद का लाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में।।

गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।}]

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