तू ही तू साँवरे हर जगह क्यों है,
रास्ते हर दफ़ा खाटु का पता,
मुझसे पूछे भला क्यों है,
हर कदम साँवरे तेरे दर पे चले,
मुझको तेरा नशा क्यों है।।
तर्ज – तू ही तू हर जगह।
धीरे धीरे आया बाबा,
धीरे धीरे अपना बनाया,
मुझको दिया प्यार,
बनके मेरा यार,
श्याम ही दिलदार,
अब तो मेरा,
हर कदम साँवरे तेरे दर पे चले,
मुझको तेरा नशा क्यों है।।
हर खुशियां अब मेरी,
बाबा तेरे दर से है,
महफ़िल मेरी तू ही,
मंज़िल मेरी तू ही,
ख्वाब मेरा तू ही है साँवरे,
हर कदम साँवरे तेरे दर पे चले,
मुझको तेरा नशा क्यों है।।
लगा नही पहले कभी ये,
बनूँगा मैं तेरा दीवाना,
अब तो मेरा बाबा,
सब कुछ लगे तू ही,
“श्याम” की तो तू ही है जिंदगी,
हर कदम साँवरे तेरे दर पे चले,
मुझको तेरा नशा क्यों है।।
तू ही तू साँवरे हर जगह क्यों है,
रास्ते हर दफ़ा खाटु का पता,
मुझसे पूछे भला क्यों है,
हर कदम साँवरे तेरे दर पे चले,
मुझको तेरा नशा क्यों है।।