राधा रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।
दोहा – सारद शेष की कौन गिने,
गुण गावत चारहुँ वेद की बानी,
चन्द्र से भानु से जाके है चाकर,
और द्वार रखावत शम्भू भवानी,
शक्ति की शक्ति या शक्ति की शक्ति है,
मुक्ति की भक्ति की दानी महारानी,
और काहे ना राज करे तिहूँ लोक में,
जा की है राधिका श्री महारानी।
राधा रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की,
फिकर मोहे काहे की,
फिकर मोहे काहे की,
राधां रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।।
हित अधम उधारण देह धरे,
बीनू कारण दीनन नेह करे,
हित अधम उधारण देह धरे,
बीनू कारण दीनन नेह करे,
जब ऐसी दयालु सरकार,
फिकर मोहे काहे की,
राधां रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।।
टूक निज जन क्रंदन सुनी पावे,
तजी श्यामहु निज जन पे आवे,
टूक निज जन क्रंदन सुनी पावे,
तजी श्यामहु निज जन पे आवे,
जब ऐसी सरल सुकुमार,
फिकर मोहे काहे की,
राधां रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।।
भृकुटि नित तकत श्याम जाकी,
ताकि शरणाई डर काकी,
भृकुटि नित तकत श्याम जाकी,
ताकि शरणाई डर काकी,
जब ऐसी कृपालु सरकार,
फिकर मोहे काहे की,
राधां रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।।
राधा रानीं हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की,
फिकर मोहे काहे की,
फिकर मोहे काहे की,
राधां रानी हमारी सरकार,
फिकर मोहे काहे की।।
स्वर – श्री गोविन्द भार्गव जी।