नाथ थारे शरणे आयो जी भजन लिरिक्स | nath thare sharne aayo ji bhajan lyrics

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नाथ थारे शरणे आयो जी,
जचै जिस तरां खेल खिलावो,
थे मनचायो जी।।

बोझो सबी उतरयो मन को,
दुख बिनसायो जी,
चिन्त्या मिटी बडै चरणां रो,
स्हारो पायो जी,
नाथ थांरे शरणै आयो जी।।

सोच फिकर अब सारो थांरै,
ऊपर आयो जी,
मैं तो अब निश्चिन्त हुयो,
अन्तर हरखायो जी,
नाथ थांरे शरणै आयो जी।।

जस अपजस सैं थांरो,
मैं तो दास कुहायो जी,
मन भंवरो थांरा चरणकमल सूं,
ज्या लिपटायो जी,
नाथ थांरे शरणै आयो जी।।

जो कुछ है सो थांरो,
मैं तो कुछ न कमायो जी,
हानि-लाभ सैं थांरो मैं तो,
दास कुहायो जी,
नाथ थांरे शरणै आयो जी।।

ठोक-पीट थे रूप सुंवारयो,
सुघड़ बणायो जी,
धूळ पड्यो कांकर हो मैं तो,
थे सिरै चढायो जी,
नाथ थांरे शरणै आयो जी।।

नाथ थारे शरणे आयो जी,
जचै जिस तरां खेल खिलावो,
थे मनचायो जी।।

पद रचैता – श्रीहनुमान प्रसादजी पोद्दार।

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