मन वच और काया से क्षमा याचना कर लेना | man vach aur kaya se kshama yachna kar lena

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मन वच और काया से,
क्षमा याचना कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।।

तर्ज – होंठों से छू लो तुम।

संवत्सरी का शुभदिन,
नई रोशनी लाया है,
वेर भाव की गांठो को,
सुलझाने आया है,
ये समय बड़ा अनमोल,
ना व्यर्थ गंवा देना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।।

वाणी में संयम हो,
शब्दों में होवे मिठास,
कटु शब्द न आवे कभी,
स्वप्न में भी हमारे पास,
यही प्रार्थना है भगवन,
मेरी विनती सुन लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।।

जाने अनजाने में,
दिल किसी का दुखाया हो,
हो चाहे वो अपना,
या कोई पराया हो,
क्षमा वान बनकर के,
ख़मत ख़ामणा कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।।

मन वच और काया से,
क्षमा याचना कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना,
शुद्ध भावो से दिलबर,
यह पर्व मना लेना।।

गायक / लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365

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