मैं पाप करते करते,
थक सा गया विधाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।
तर्ज – मेरा आपकी कृपा से।
सब जानते हुए भी,
मैं भूल कर रहा हूँ,
अंधी गली में फिर भी,
बेबाक चल रहा हूँ,
नादान जानू ना ये,
रस्ता कही ना जाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।
कुछ गलत हो रहा है,
मेरी रूह जानती है,
मन की ये पापी चिड़ियाँ,
फिर भी ना मानती है,
चंचल ये मन का बेड़ा,
रह रह के डोल जाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।
मैं गलत और सही की,
पहचान कर ना पाऊं,
अज्ञानता में बाबा,
मैं भूल करता जाऊं,
जिसका हो ना नतीजा,
वो काम करता जाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।
मेरी आज तक की भूलें,
मेरे सांवरे भुला दे,
अब थाम ले कलाई,
सत पथ पे तू चला दे,
भटके हुओं को रस्ता,
कहे ‘हर्ष’ तू दिखाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।
मैं पाप करते करते,
थक सा गया विधाता,
तुम माफ़ करते करते,
थकते नहीं हो दाता,
मै पाप करते करते,
थक सा गया विधाता।।