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कबूल मेरी विनती,
होनी चाहिए,
तेरे पागलों में गिनती,
होनी चाहिए।।
तेरे नाम का लेके सहारा,
चलता है परिवार हमारा,
कमी नहीं कोई होनी चाहिए,
तेरे पागलों में गिनती,
होनी चाहिए।।
तेरे सहारे चले जीवन नैया,
आप सम्भालो बनके खिवैया,
नैया पार मेरी होनी चाहिए,
तेरे पागलों में गिनती,
होनी चाहिए।।
दुनिया की परवाह ना कोई,
जो मरजी तानु समझे कोई,
नाम खुमारी चढी होनी चाहिए,
तेरे पागलों में गिनती,
होनी चाहिए।।
कबूल मेरी विनती,
होनी चाहिए,
तेरे पागलों में गिनती,
होनी चाहिए।।
स्वर – पूर्णिमा दीदी जी।
प्रेषक – अमित।