हे राधा रानी,
मत जइयो तुम दूर,
मेरी लाड़ली प्यारी,
मत जइयो तुम दूर,
तुम हो परम उदार स्वामिनी,
कर दो क्षमा कसूर,
मेरी लाड़ली प्यारी,
मत जइयो तुम दूर।।
एक झलक की आस स्वामिनी,
बरसाने ले आई,
तेरी कृपाकोर से दिल में,
बजने लगी शहनाई,
उसी कृपा की एक कोर से,
करती रहो मोहे चूर
मेरी राधा रानी,
मत जइयो तुम दूर।।
तुम तो मेरी भोरी स्वामिनी,
मैं विषयन की मारी,
पतित उधारक हे अघनाशनी,
अब है मेरी बारी,
रहे बरसता सब पर राधे,
तेरा कृपा कोष भरपूर,
मेरी राधा रानी,
मत जइयो तुम दूर।।
मन ना भटके चित ना चटके,
वाणी में रस भर दो,
वास दो गेहवरवन की कुञ्ज में,
और गति सब हर लो
रवि रंगीली सखी बने फिर,
श्री राधे मेरी मूल,
मेरी राधा रानी,
मत जइयो तुम दूर।।
हे राधा रानी,
मत जइयो तुम दूर,
मेरी लाड़ली प्यारी,
मत जइयो तुम दूर,
तुम हो परम उदार स्वामिनी,
कर दो क्षमा कसूर,
मेरी लाड़ली प्यारी,
मत जइयो तुम दूर।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।