धन्य वह घर ही है मंदिर जहाँ होती है रामायण लिरिक्स | dhanya wah ghar hi hai mandir jahan hoti hai ramayan lyrics

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धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण।।

तर्ज – लगन तुमसे लगा बैठे।

यही है कर्म की कुंजी,
यही है धर्म की पूंजी,
यही है धर्म की पूंजी,
महापतितों से पतितों के,
महापतितों से पतितों के,
भी पाप धोती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण।।

यही है संतो की महिमा,
यही है विश्व की गरिमा,
यही है विश्व की गरिमा,
मुक्ति का मार्ग दिखलाती,
मुक्ति का मार्ग दिखलाती,
भजन ज्योति है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण।।

धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण।।

स्वर – चंद्रभूषण जी पाठक।
प्रेषक – श्याम शरण शुक्ला।

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हमें निज धर्म पर चलना।

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