कल श्री जी के महलो में मैं तो बैठी थी भाव में | kal shri ji ke mahlon me main to baithi thi bhav me
कल श्री जी के महलो में,मैं तो बैठी थी भाव में,थोड़ा सा पर्दा हटा,मेरे आँसू निकल आये।। तर्ज – अखियों के झरोखों से। मुझसे बोली किशोरी जू,क्यों रोने लगी तू,मैं साथ हूँ धीरज काहे,फिर खोने लगी तू,उनकी ममता निरख करके,मेरी जीभा अटक सी गई,मैं कुछ बोल नहीं पाई,मेरे आँसू निकल आये।। मैं बोली मैं हार … Read more