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आज हम नाचेंगे राधे के दरबार,
हर कोई झूमे हर कोई नाचे,
हो रही जय जयकार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
ऊंचे महल अटारी वारी,
श्री राधे बरसाने वाली,
कीरतकुंवरी भानु दुलारी,
ब्रज मंडल सरकार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
बड़ी सुहानी शुभ शुभ बेला,
लाडली लाल का लगा है मेला,
मेला भी ऐसा अलबेला,
जैसे कोई त्यौहार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
बजे बांसुरी बीन शहनाई,
बजे ढोल डफ बजे बधाई,
बरस रहे रंग रस फूल कलियाँ,
नाच रहे नर नार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
कहे ‘मधुप’ हरि भक्त प्यारे,
आंदन लूट रहे है सारे,
हरी नाम के हीरे मोती,
लूट रहा संसार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
आज हम नाचेंगे राधे के दरबार,
हर कोई झूमे हर कोई नाचे,
हो रही जय जयकार,
आज हम नाचेंगे राधें के दरबार।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।