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कौरव थे सौ और,
पांडव थे पांच,
फिर भी सत्य पर,
आई ना आँच,
यही तो करिश्मा है,
हरि भक्ति का।।
तर्ज – आने से उसके।
द्रौपदी तुम्हें पुकारे,
कहा छुप गए हो मुरली वाले,
मेरे पाँचो पति विवश है,
मेरे टूटे सारे सहारे,
साड़ी बढ़ी देर ना करी,
यही तो करिश्मा हैं,
हरि भक्ति का।।
प्रहलाद तुम्हें पुकारे,
कहा छुप गए हो बंसी वाले,
नरसिंह रूप रखकर,
हिरण्यनाकश्यप को,
पल में संहारे,
जल में वो थल में वो,
यही तो करिश्मा हैं,
हरि भक्ति का।।
कौरव थे सौ और,
पांडव थे पांच,
फिर भी सत्य पर,
आई ना आँच,
यही तो करिश्मा है,
हरि भक्ति का।।
Singer – Golu Ojha
प्रेषक – बलवान सिहँ विश्वकर्मा बजरंगी।
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