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थारी नगरी में सांवरिया,
भगतां फाग मचायो रे,
थारी नगरी में।।
तर्ज – रंग मत डारे रे।
अबीर गुलाल की भर भर झोली,
रोली भाल लगाई जी,
ईसो फाग तो मैं भी खेलूं,
जी ललचायो रे,
थारी नगरी में।।
अनमोलो चोलो केसरियो,
फेट्यो बंध्यो कसुतो जी,
आज बता दे तन्ने कन्हैया,
कुण सजायो रे,
थारी नगरी में।।
सीधो सीधो सभा मंड से,
बेगो बाहर आजा रे,
भीतर बड़के बैठ्यो म्हाने,
दाए ना आयो रे,
थारी नगरी में।।
थारे आया ही अलबेला,
रंग सुरंगो जमसी जी,
श्याम बहादुर शिव मस्ती को,
प्यालो प्यायो रे,
थारी नगरी में।।
थारी नगरी में सांवरिया,
भगतां फाग मचायो रे,
थारी नगरी में।।
Singer – Rahul Sanwara}]