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सुन बरसाने वाली,
दोहा – राधा मेरी स्वामिनी,
मैं राधा को दास,
जनम जनम मोहे दीजियो,
वृन्दावन को वास।
सुन बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
ओ बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी।।
तेरी पायलीया पे बाजे मुरलीया,
छम छम नाचे गिरधारी,
गुलाम तेरो बनवारी।।
चंद्र से चेहरे पे बड़ी बड़ी अंखिया,
लट लटके घुँगरालि,
गुलाम तेरो बनवारी।।
बड़ी बड़ी अँखियन मे,
झीनो झीनो कजरौ,
घायल कुंज बिहारी,
गुलाम तेरो बनवारी।।
व्रँदावन के राजा होकर,
छाछ पे नाचे मुरारी,
गुलाम तेरो बनवारी।।
वृंदावन की कुंज गलीन मे,
रास रचावे गिरधारी,
गुलाम तेरो बनवारी।।
क़दम की डाल पे झूला पड़ा है,
झोटा देय बिहारी,
गुलाम तेरो बनवारी।।
सुन बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
ओ बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी।।