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श्याम देखि जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।
तर्ज – गली में आज चाँद निकला।
श्लोक – ऐ फलक के चाँद,
मैने भी एक चाँद देखा है,
तुझमे तो दाग है लाखो,
मेने तो बेदाग़ देखा है।
श्याम देखि जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला,
अब मिट गई है रात अँधेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।
जबसे हुआ है कान्हा का आना,
महक उठा है दिल वीराना,
जर्रा जर्रा हुआ है सुनहरी,
हमारे घर चाँद निकला,
श्याम देखी जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।
ये चंदा तो आए जाए,
चाँद सूरज को ये चमकाए,
इसकी एक झलक ही बहुत है री,
हमारे घर चाँद निकला,
श्याम देखी जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।
बादल हो या बिजली चमके,
श्याम हमारा दूना चमके,
इसकी चांदनी ने धरती घेरि,
हमारे घर चाँद निकला,
श्याम देखि जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।
श्याम देखी जो सूरत तेरी,
हमारे घर चाँद निकला,
अब मिट गई है रात अँधेरी,
हमारे घर चाँद निकला।।}]