श्रृंगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है,
सजधज के औरों से ये,
न्यारा लगता है,
तीनों लोक में सुन्दर,
श्याम हमारा लगता है,
श्रृँगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है।।
तर्ज – क्या खूब लगती हो।
अधरों पे सजे है मुरली,
हम भक्तो की नींदें इसने हरली,
नैनो से करे है घायल,
ये रूप निरख हो गए तेरे कायल,
सजधज के औरों से ये,
न्यारा लगता है,
तीनों लोक में सुन्दर,
श्याम हमारा लगता है,
श्रृँगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है।।
क्यों होंठ रचाई लाली,
दीवानों के मन को मोहने वाली,
हौले से तेरा मुस्काना,
हम भक्तों को कर देता दीवाना,
सजधज के औरों से ये,
न्यारा लगता है,
तीनों लोक में सुन्दर,
श्याम हमारा लगता है,
श्रृँगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है।।
घुंगराले केश है लटके,
श्रृंगार तेरा आज सजा है हटके,
मनमोहक अदा निराली,
कहे ‘हर्ष’ हमें वश में करने वाली,
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सजधज के औरों से ये,
न्यारा लगता है,
तीनों लोक में सुन्दर,
श्याम हमारा लगता है,
श्रृँगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है।।
श्रृंगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है,
सजधज के औरों से ये,
न्यारा लगता है,
तीनों लोक में सुन्दर,
श्याम हमारा लगता है,
श्रृँगार कन्हैया का,
बड़ा प्यारा लगता है।।
Singer – Sachin Aggarwal}]