सांवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है,
इसके होते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
तर्ज – ज़िन्दगी प्यार का गीत।
छायें काली घटाए तो क्या,
इसकी छतरी के नीचे हूँ मैं,
आगे आगे ये चलता मेरे,
मेरे मालिक के पीछे हूँ मैं,
इसने पकड़ा मेरा हाथ है,
मुझको डरने की क्या बात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
इसकी महिमा का वर्णन करूँ,
मेरी वाणी में वो दम नही,
जबसे इसका सहारा मिला,
अब सताए कोई गम नहीं,
बाबा करता करामत है,
मुझको डरने की क्या बात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
क्यों मैं भटकू यहाँ से वहाँ,
इसके चरणों में है बैठना,
झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी,
श्याम प्रेमी से नाता बना,
ये कराता मुलाकात है,
मुझको डरने की क्या बात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
जहाँ आनंद की लगती झड़ी,
ऐसी महफ़िल सजाता है ये,
‘बिन्नू’ क्यों ना दीवाना बने,
ऐसे जलवे दिखाता है ये,
दिल चुराने में विख्यात है,
मुझको डरने की क्या बात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
सांवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है,
इसके होते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है,
साँवरा जब मेरे साथ है,
मुझको डरने की क्या बात है।।
प्रेषक – कपिल टेलर
9509597293}]