राम जी ने शबरी के खाए झूठे बेर | ram ji ne khaye shabari ke jhuthe ber

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भाव के है भूखे भगवन,
सुने सब की टेर,
राम जी ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।।

भाव में बंधे ना होते,
झोपड़ियां ना जाते,
झोपड़िया ना जाते ईश्वर,
दरश ना दिखाते,
बेर तो जरूरी है,
नहीं अंधेर,
राम जीं ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।।

राह निहारे शबरी,
दरस कब मिलेंगे,
दरस कब मिलेंगे ईश्वर,
दरस कब मिलेंगे,
दौड़े जाते ईश्वर देखा,
करते नहीं देर,
राम जीं ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।।

भाव के है भूखे भगवन,
सुने सब की टेर,
राम जी ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।।

प्रेषक – दुर्गा प्रसाद पटेल।

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