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राम गुण गायो नहीं आय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
गर्भ में देखी नरक निशानी,
तब तू कौल किया था प्राणी,
भजन करुँगा चित्त लाय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
बालपने में लाड लडायो,
मात-पिता तने पालणे झुलायो,
समय गमायो खेल खाय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
तरुण भयो तिरिया संग राच्यो,
नट मर्कट ज्यों निशदिन नाच्यो,
माया में रह्यो रे भरमाय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
जीवन बीत बुढ़ापो आवे,
इन्द्री सब शीतल होय जावे,
तब रोवोगे पछताय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
वेद पुराण संत यो गावे,
बार बार नर देही ना पावे,
देवकी तिरोगे हरि गाय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
राम गुण गायो नहीं आय करके,
यम से कहोगे क्या जाय करके।।
स्वर – श्री इंद्रेश जी उपाध्याय।
प्रेषक – अनिल जी।