Join us for Latest Bhajan Lyrics
Join Now
पत्थर की दुनिया से निकलके,
देखो माँ इक बार,
कितना दुखी संसार।।
तर्ज – नफरत की दुनिया को छोड़कर।
हर आँख में आँसू,
पलकों में है नमी,
सुख से नहीं कोई,
दुनिया में आदमी,
बेबस है बड़ा इंसान,
भगत है आज बड़े लाचार,
कितना दुखी संसार।
पत्थर की दुनिया से निकल के,
देखो माँ इक बार,
कितना दुखी संसार।।
पूछो गरीबो से,
जिनकी हुई है ठि,
कैसे वो ब्याहेंगे,
नाजो पली बेटी,
दौलत की दुनिया में,
हो रहा रिश्तो का व्यापार,
कितना दुखी संसार।
पत्थर की दुनिया से निकल के,
देखो माँ इक बार,
कितना दुखी संसार।।
चन्दन थी जो धरती,
बारूद से महकी,
नफरत की फिर ज्वाला,
मेरे देश में दहकि,
बेधड़क बता माँ कब होगा फिर,
दुनिया में अवतार,
कितना दुखी संसार।
पत्थर की दुनिया से निकलके,
देखो माँ इक बार,
कितना दुखी संसार।।