म्हे भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार,
मनड़ो ना लागे म्हारो,
मनड़ो ना लागे म्हारो,
सुणल्यो सरकार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
तर्ज – किमस्त वालों को।
फागण में जो नहीं बुलाओगा,
बोलो कइया मेल बढ़ावोगा,
साथीड़ा की जमघट माचेगी,
म्हारा के आंसू ढलकाओगा,
इतनो भी गैर करो ना,
म्हाने सरकार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
श्याम बगीची आलू सिंह की शान,
श्याम कुंड के अमृत जल को पान,
म्हारा चारो धाम है खाटू धाम,
म्हाने बुलाता रहिजो बाबा श्याम,
सुपणे में आवे म्हारे,
थारो दरबार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
कोई थारी ध्वजा उठावेगो,
कोई मेहंदी हाथ रचावेगो,
कोई टिकट कटावे खाटू की,
कोई पैदल चलकर आवेगो,
सुन सुन कर बाता सबकी,
मैं हाँ लाचार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
मेला की म्हे कर लेवा त्यारी,
छोड़ के सारी म्हे दुनिया दारी,
फागण की लूटा म्हे भी मस्ती,
लूट रही जीने या दुनिया सारी,
थारे इशारे की है,
म्हाने दरकार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
पेहल्या तो थे प्रेम बढ़ायो थो,
जीवन में म्हारे रस बरसायो थो,
प्रेम समंदर बहुत ही गहरो थो,
‘अंश’ बेचारो तैर ना पायो थो,
डूबन के ताई छोड्या,
के थे सरकार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
म्हे भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार,
मनड़ो ना लागे म्हारो,
मनड़ो ना लागे म्हारो,
सुणल्यो सरकार,
म्हें भी आवाँगा,
म्हाने बुलाल्यो थे सरकार।।
Singer – Mukesh Bagda Ji}]