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मेरे घर के ऊपर तेरी,
मोरछड़ी का साया हो,
तेरी मोरछडी का झाडा,
छाया जैसा लगता हो।।
तर्ज – मन की बाता सांवरिया ने।
बन्द पड़ी किस्मत का ताला,
मोरछडी से खुल जाता,
सोई किस्मत जग जाती,
वो पल में बन जाता राजा,
झाडा खाले मोरछडी का,
कंचन काया हो तेरी।।
मोरछडी झाड़ा ऐसा,
मेरे मन को है भाता,
झाडा खाकर मोरछडी का,
मेरा मन भी है गाता,
गुण गाऊ मैं मोरछडी का,
जीवन की ये अभिलाषा।।
जब तक जीवन मेरा बाबा,
रोज करू तेरी सेवा,
सेवा ऐसी मिली है मुझको,
जीवन हो यापन मेरा,
सागर तेरी कृपा चाहे,
बस इतनी से हो अभिलाषा।।
मेरे घर के ऊपर तेरी,
मोरछड़ी का साया हो,
तेरी मोरछडी का झाडा,
छाया जैसा लगता हो।।
गायक – सागर शर्मा।
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