मझधार में कश्ती है और राह अनजानी है भजन लिरिक्स | majdhar me kashti hai aur raah anjani hai lyrics

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मझधार में कश्ती है,
और राह अनजानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

तर्ज – एक प्यार का नगमा।

तेरी बांकी अदा चितवन,
मेरे मन में समाई है,
रग रग में सांवरिया,
मदहोशी छाई है,
वृंदावन वास मिले,
चाहत ये पुरानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

ये जग अंधियारा है,
तू जग उजियारा है,
बदकिस्मत बेबस का,
बस तू ही सहारा है,
अपने ही नहीं अपने,
दो दिन जिंदगानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

दर्शन मतवाले है,
तेरे चाहने वाले है,
जिस हाल में तू रखें,
हम रहने वाले है,
तू खुश है जहां खुश है,
उल्फत दीवानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

दुनिया के कण कण में,
तेरा जलवा नुमाई है,
जिस तरफ नजर डालूं,
तेरी सूरत भायी है,
चाहत है यही मन की,
तुझे प्रीत निभानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

मझधार में कश्ती है,
और राह अनजानी है,
सुन बांके मुरली वाले,
मेरी नाव पुरानी है,
मझधार मे कश्ती है,
और राह अनजानी है।।

स्वर – आचार्य मृदुलकृष्ण जी शास्त्री।}]

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