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माँ भवानी जग की रानी,
तू सती भव भन्जनी,
जग की जननी जगत माता,
आदि माँ भव हारिणी,
हर रूप में हर नाम से माँ,
दुखियों की दुख हारणी,
दुष्ट दानव को मिटाए,
मैया पाप की नाशिनी।।
तर्ज – आशुतोष शशांक शेखर।
चंडिका नर मुंडिका,
तू है माँ कंकालिनी,
तू ही दुर्गा तू ही काली,
तू ही मरघटवासिनी,
पापियों का नाश करने,
तू खपर की धारिणी,
चण्ड हो या मुण्ड कैटभ,
तू असुर संघारिणी।।
देव सुर नर संत साधक,
सबकी तू अनुरागिनी,
सिंघ की करती सवारी,
माई पर्वतवासिनी,
आदिशक्ति माँ भवानी,
महिषासुर की मर्दनी,
‘लकी निरंजन’ महिमा गाए,
भक्तो की दुखःहारिणी।।
माँ भवानी जग की रानी,
तू सती भव भन्जनी,
जग की जननी जगत माता,
आदि माँ भव हारिणी,
हर रूप में हर नाम से माँ,
दुखियों की दुख हारणी,
दुष्ट दानव को मिटाए,
मैया पाप की नाशिनी।।
गायक – उदय लकी सोनी।
(9131843199)
गीतकार – निरंजन सेन जी।