लाल ही लाल देखो माँ का श्रृंगार है | lal hi lal dekho maa ka shringar hai

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लाल है चुनरी लाल है चोला,
लाल गले में हार है,
लाल ही लाल देखो,
माँ का श्रृंगार है।।

लाल चुनरिया सुंदर मां ने,
अपने शीश पे ओढ़ी है,
इस चुनरी की छाया में,
तर जाता निर्धन कोढ़ी है,
सब भक्तों के लिए खुला है,
सब भक्तों के लिए खुला,
मैया जी का दरबार है,
लाल ही लाल देखों,
माँ का श्रृंगार है।।

लाल पुष्प की माला मेरी,
मां ने गले में डाली है,
रुप है मेरे मन को भाया,
मैया भोलीभाली है,
लाल है जो भी दर पे आते,
लाल है जो भी दर पे आते,
देती सबको प्यार है,
लाल ही लाल देखों,
माँ का श्रृंगार है।।

लाल है चूड़ा लाल है मेंहदी,
लाल महावार पांव में,
‘लाडली’ को भी रख लो मां,
अपनी ममता की छांव में,
डूबी नैया की मैया,
डूबी नैया की मैया,
तू ही तो पतवार है,
लाल ही लाल देखों,
माँ का श्रृंगार है।।

लाल है चुनरी लाल है चोला,
लाल गले में हार है,
लाल ही लाल देखो,
माँ का श्रृंगार है।।

स्वर – तान्या भारद्वाज।
9716106298

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