कलयुग के तुम अवतारी हो भक्तों के संकट हारी हो लिरिक्स | kalyug ke tum avtari ho lyrics

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कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाण धारी,
करते लीले की सवारी हो।।

तर्ज – तारों का चमकता।

महाभारत में बाबा तुमने,
ये खेल गजब दिखलाया था,
दिए भेद वृक्ष के सब पत्ते,
तूने एक ही बाण चलाया था,
हारे के सहारे श्यामधणी,
तुम कहलाते बलशाली हो,
कलयुग के तुम अवतारी हों,
भक्तों के संकट हारी हो।।

मेरा बाबा है फूल बहारों का,
मेरा बाबा है नूर नज़ारों का,
मेरे बाबा के जैसा कोई बाबा नहीं,
बिना इसके कहीं भी मुझे रहना नहीं,
जैसे है चाँद सितारों में,
मेरा बाबा है एक हज़ारों में,
हम जैसे भोले भाले की,
ये दुनिया है श्याम निराले की,
ये दुनिया है श्याम निराले की,
ये दुनिया है खाटू वाले की,
कलयुग के तुम अवतारी हों
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाण धारी,
करते लीले की सवारी हो।।

जिसका ना कोई सहारा हो,
उसके है धणी खाटूवाले,
तेरी नाव अगर डगमगडग हो,
सब छोड़ तू बाबा को ध्याले,
लहराए ऐसी मोरछड़ी,
मिट जाए हरेक बीमारी हो,
कलयुग के तुम अवतारी हों,
भक्तों के संकट हारी हो।।

कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाण धारी,
करते लीले की सवारी हो।।

Singer / Writer – Mukesh Kumar Meena}]

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