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कैसे जिऊं मैं राधा रानी तेरे बिना,
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना।।
मेरे पापो का कोई ठिकाना नहीं,
तेरी प्रीत क्या होती जाना नहीं,
शरण दे दो मेरे अवगुण निहारे बिना,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना।।
मोहे प्रीत की रीत सिखा दो प्रिया,
अपनी यादो में रोना सिखा दो प्रिया,
जीवन नीरस है अँखियों के तारे बिना,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना।।
प्यारी पतितों की पतवार तुम ही तो हो,
दीन-दुखियों की सरकार तुम ही तो हो,
अब मैं जाऊं कहा तेरे द्वारे बिना,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना।।
कैसे जिऊं मैं राधा रानी तेरे बिना,
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना।।