Join us for Latest Bhajan Lyrics
Join Now
काबिल नहीं हूँ तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ,
शायद वो मान जाए,
सर को झुका रहा हूँ।।
नादान हूँ मैं बाबा,
पुतला हूँ गलतियों का,
अपने कई जनम के,
कर्जे चूका रहा हूँ,
काबिल नहीं हूं तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ।।
मेरी बदनसीबियो की,
परछाईयां है गहरी,
तुमसे नहीं शिकायत,
केवल बता रहा हूँ,
काबिल नहीं हूं तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ।।
तेरे नाम की चमक ने,
मुझको दिया इशारा,
चौखट पर आ गया हूँ,
आसूं बहा रहा हूँ,
काबिल नहीं हूं तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ।।
आया है दर पे झुक के,
अबसे हुआ तू मेरा,
थोड़ी सी देर रुक जा,
तेरा जीवन सजा रहा हूँ,
काबिल नहीं हूं तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ।।
काबिल नहीं हूँ तेरे,
फिर भी रिझा रहा हूँ,
शायद वो मान जाए,
सर को झुका रहा हूँ।।
गायक – राज पारीक जी।}]