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जन्माष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा,
सोने के पलने में,
रेशम की डोरी बांधे,
झूला झुलाए बृजबाला,
जनमाष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा।।
मथुरा में कान्हा जन्म लियो है,
जग हित को अवतार लियो है,
सोलह कला सम्पूर्ण कन्हाई,
ऐसा दूजा देव है नाही,
लड्डू गोपाल लागे प्यारा,
जनमाष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा।।
दूध दही और छाछ लुटाओ,
माखन मिश्री भोग लगाओ,
खुद नाचो और जग को नचाओ,
मिलजुल के यह पर्व मनाओ,
आया जग का रखवाला,
जनमाष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा।।
व्रत राखो और मंदिर जाओ,
भजनों से कान्हा को रिझाओ,
तन मन धन सब इस पे वारो,
करो श्रृंगार और आरती उतारो,
मन को भाए नंदलाला,
जनमाष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा।।
जन्माष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा,
सोने के पलने में,
रेशम की डोरी बांधे,
झूला झुलाए बृजबाला,
जनमाष्टमी का दिन,
लागे बड़ा प्यारा।।
स्वर – अनुराधा जी पौडवाल।}]