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है नीको मेरो देवता,
कोसलपति राम,
सुभग सरोरुह लोचन,
सुठि सुंदर स्याम।।
देखे – रघुवर जी थारी सूरत प्यारी लागे।
सिय-समेत सोहत सदा,
छबि अमित अनंग,
भुज बिसाल सर धनु धरे,
कटि चारु निषंग।।
बलिपूजा चाहत नहीँ,
चाहत एक प्रीति,
सुमिरत ही मानै भलो,
पावन सब रीति।।
देहि सकल सुख दुख दहै,
आरत जन-बंधु,
गुन गहि अघ-औगुन हरै,
अस करुनासिंधु।।
देस-काल-पूरन सदा,
बद बेद पुरान,
सबको प्रभु सबमेँ बसै,
सबकी गति जान।।
को करि कोटिक कामना,
पूजै बहु देव,
तुलसिदास तेहि सेइये,
संकर जेहि सेव।।
है नीको मेरो देवता,
कोसलपति राम,
सुभग सरोरुह लोचन,
सुठि सुंदर स्याम।।
स्वर – पूज्य मोरारी बापू।
प्रेषक – अनिल उरमलिया जी।