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गलती का पुतला हूँ,
अगर भूल जो हो जाए,
दिल से ना लगा लेना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना।।
तर्ज – बचपन की मोहब्बत को।
गलती का पुतला हूँ,
ऐ श्याम प्रभु मेरे,
मुझसे हैं बहुत तुमको,
तुमसा ना कोई मेरा,
मेरा कान पकड़ करके,
एक डाट लगा देना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना।।
जीवन की कठिन राहे,
कहीं मैं ना भटक जाऊ,
तेरे एक इशारे से,
मंजिल को पा जाऊ,
मेरा हाथ पकड़ कर के,
मुझे राह दिखा देना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना।।
गंगा गौरी को श्याम,
एक तेरा सहारा है,
इस पागल प्रेमी को,
तुमने ही तारा है,
मुझे अपना समझ करके,
बस गले लगा लेना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना।।
अगर भूल जो हो जाए,
दिल से ना लगा लेना,
अब तक तो निभाया है,
आगे भी निभा लेना।।