फागुन की ग्यारस जब आ जाती है तो साँवरे की याद सताती है | fagun ki gyaras jab aa jati hai to sanware ki yaad satati hai lyrics

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फागुन की ग्यारस जब आ जाती है तो,
साँवरे की याद सताती है,
खाटू की गाड़ी जब छूट जाती है तो,
बेचैनी बढ़ जाती है।।

तर्ज – कोई हसीना जब रूठ।

फागुन में बाबा का लगता है मेला,
श्याम प्रेमियों का आता है रेला,
होती है मेहरबानियां,
भरती है सबकी झोलियाँ,
फागण की ग्यारस जब आ जाती है तो,
साँवरे की याद सताती है।।

खाटू की गलियों में उड़ती गुलाल है,
सांवरे के सेवक करते धमाल है,
लगती है लाखों अर्जियां,
होती है सुनवाईयां,
खाटू की गाड़ी जब छूट जाती है तो,
बेचैनी बढ़ जाती है।।

लम्बी कतारों में दीखते निशान है,
पुरे यहाँ पर होते सबके अरमान है,
‘जय कौशिक’ जो भी लिख रहा,
लिखवाते बाबा श्याम है,
फागण की ग्यारस जब आ जाती है तो,
साँवरे की याद सताती है।।

फागुन की ग्यारस जब आ जाती है तो,
साँवरे की याद सताती है,
खाटू की गाड़ी जब छूट जाती है तो,
बेचैनी बढ़ जाती है।।

Singer – Shyam Salona (Kota)}]

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