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बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
तर्ज – लगन तुमसे लगा बैठे।
अभी तुम सामने आये,
अभी तुम हो गए ओझल,
प्रभु ये बिच का पर्दा,
गिरा दोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
मेरे गोपाल गिरधारी,
मेरे गोपाल बनवारी,
मुझे भी अपनी सखियो में,
मिला लोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज मे,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
दयानिधि हम तुम्हारे पास,
आने को तरसती है,
हमे खुद रास्ता अपना,
दिखा दोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
बिहारी घर मेरा बृज मे,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।}]