भाई बंधू कुटुंब कबीला,
कोई काम ना आएगा,
अंत समय में नाम श्याम का,
साथ तेरे ही जाएगा।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे।
सच्चा साथी नहीं मिलेगा,
इस बेदर्द ज़माने में,
पूरा जोर लगाते ये,
गिरते को और गिराने में,
साँचा साथी श्याम हमारा,
अपने गले लगाएगा,
अंत समय में नाम श्याम का,
साथ तेरे ही जाएगा।।
बड़े बड़े पैसे वालों की,
यूँ ही भीड़ नहीं होती,
नोटों से खुशिया मिलती तो,
आँखे दर पे क्यों रोती,
श्याम नाम का सुमिरन तेरी,
हर उलझन सुलझाएगा,
अंत समय में नाम श्याम का,
साथ तेरे ही जाएगा।।
छप्पन भोग ना सवामणी ना,
माखन मिश्री खाते है,
श्याम धणी कुछ खाते है तो,
सिर्फ तरस ही खाते है,
जो दुनिया को खिला रहा,
‘नरसी’ क्या उसे खिलाएगा,
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अंत समय में नाम श्याम का,
साथ तेरे ही जाएगा।।
भाई बंधू कुटुंब कबीला,
कोई काम ना आएगा,
अंत समय में नाम श्याम का,
साथ तेरे ही जाएगा।।
Singer – Master Raghav}]