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बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
श्लोक – शिव समान दाता नहीं,
विपत निवारण हार,
लज्जा सबकी राखियो,
ओ नंदी के असवार।
बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,
नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला।
बैठे पर्वत धुनि रमाये,
बदन पड़ी मृगछाला है,
कालो के महाकाल सदाशिव,
जिनका रूप निराला है,
उनकी गोदी में गजानन लाला,
ओ नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला।
शीश चन्द्रमा जटा में गंगा,
बदन पे भस्मी चोला है,
तीन लोक में नीलकंठ सा,
देव ना कोई दूजा है,
पि गए पि गए विष का प्याला,
ओ नीलकंठ वाला,
भोले नाथ डमरू वाला,
बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला।