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बाबा तेरे प्रेमियों ने,
चिट्ठी भेजी है,
और चिट्ठी में पूछा है तेरी,
तबीयत कैसी है।।
खूब दिया दातार तुमने,
भरें हुए भंडार है,
जो भी तेरे खाटू आता,
देता लखदातार है,
दे दे कर ना हाथ थके,
सरकार ऐसी है,
और चिट्ठी में पूछा है तेरी,
तबीयत कैसी है।।
सुबह से लेकर शाम तलक तक,
काम घना करवाते है,
रात में भी कोई पुकारें,
बाबा दौड़े आते है,
दौड़ दौड़ ना पाव थके,
सरकार ऐसी है,
और चिट्ठी में पूछा है तेरी,
तबीयत कैसी है।।
दुखड़ा लेकर रोते रहते,
कीर्तन में तेरे बेठे है,
मोरछड़ी और लीलो ही,
खूब सहारो देते है,
‘भरत’ कहें ओ बाबा जी,
ये दुनिया कैसी है,
और चिट्ठी में पूछा है तेरी,
तबीयत कैसी है।।
बाबा तेरे प्रेमियों ने,
चिट्ठी भेजी है,
और चिट्ठी में पूछा है तेरी,
तबीयत कैसी है।।
गायक – पंडित भरत कुमार शर्मा।
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