आयो रे आयो पर्युषण आयो जन जन के भाग्य संवारने लिरिक्स | aayo re aayo paryushan aayo jain bhajan lyrics

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आयो रे आयो पर्युषण आयो,
जन जन के भाग्य संवारने,
प्रभु की पूजा गुरु की भक्ति,
जिनवाणी मन मे उतारने।।

क्रोध को त्याग क्षमा को धारो,
मार्दव से मन के मान को मारो,
आर्जव भावो मे लाये सरलता,
सत्य मिटाये मन की चपलता,
शौच कहा गुरुवर ने देखो,
अन्तर की शुचिता निखारने,
प्रभु की पूजा गुरु की भक्ति,
जिनवाणी मन मे उतारने।।

मानव जीवन विफल बिन संयम,
तप से कुंदन बनेंगे तन मन,
त्याग घटाए लोभ, आशक्ति,
अकिंचन से जागे विरक्ति,
उत्तम ब्रह्मचर्य अपनाओ,
अपनी ही आतम निहारने,
प्रभु की पूजा गुरु की भक्ति,
जिनवाणी मन मे उतारने।।

आयो रे आयो पर्युषण आयो,
जन जन के भाग्य संवारने,
प्रभु की पूजा गुरु की भक्ति,
जिनवाणी मन मे उतारने।।

– Lyrics & Composition –
Dr. Rajeev Jain
(8136086301)

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