आई सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
कदम्ब की डारि पे झूलो पड्यो है,
झूलो पड्यो है झूलो पड्यो है,
वा पे बरसा की झीनी फुहार,
मनवा झूम रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
ललिता जु सखियन संग आई,
सावन की सब देने बधाई,
संग गाए राग मल्हार,
मनवा झूम रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
चन्दन का झूला रेशम की डोरी,
‘पूनम’ सखी कहे कर जोरि,
मोहे दर्शन गल बहिया डाल,
मनवा झूम रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
राग मल्हार हरिदास जु गावे,
नाच नाच कर मोर रिझावे,
झोटा देवे नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
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आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
आई सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो,
संग राधा जु के नन्द कुमार,
झूला झूल रहयो,
आयी सावन की मस्त बहार,
मनवा झूम रहयो।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।}]