आई रे आई शरद पूनम की रात,
मुझ बिरहन की श्याम पिया से,
मुझ बिरहन की श्याम पिया से,
होगी अब मुलाकात,
आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
तर्ज – कन्हैया ले चल परली पार।
आज मैं सौलह श्रृंगार करुँगी,
मोतियन सो मैं मांग भरूंगी,
माथे बिंदिया नाक नथनिया,
माथे बिंदिया नाक नथनिया,
कंगना पहनू हाथ,
आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
कानन कुण्डल नैनन कजरा,
केश सजाऊँ फूलन गजरा,
हाथन मेहंदी होंठन लाली,
हाथन मेहंदी होंठन लाली,
मैं मन ही मन हर्षात,
आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
पचरंग साड़ी ओढ़ चुनरिया,
अपने पिया की बनूँ मैं दुल्हनिया,
धीर धरे ना पागल मन अब,
धीर धरे ना पागल मन अब,
दर्शन को ललचात,
आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
स्वर्णिम बेला आई मिलन की,
पीर मिटेगी मुझ बिरहन की,
‘चित्र विचित्र’ भी बाँध के घुंघरू,
‘चित्र विचित्र’ भी बाँध के घुंघरू,
नाचे पी के साथ,
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आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
आई रे आई शरद पूनम की रात,
मुझ बिरहन की श्याम पिया से,
मुझ बिरहन की श्याम पिया से,
होगी अब मुलाकात,
आई रे आई शरद पुनम की रात।bd।
स्वर – बाबा श्री चित्रविचित्र बिहारीदासजी महाराज।}]