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आया रे कुशल गुरु दरबार,
छाई है दिल में खुशी अपार,
बड़े भाव से आया चाव से,
सँग लाया हाँ परिवार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।।
तर्ज – बन्ना रे बागा में।
लागे रे या मूरत प्यारी लागे,
जागे रे भक्ति की ज्योत जागे,
बड़ी प्यारी है मनोहारी है,
म्हे लेवा नजर उतार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।।
दादा रे प्रीत की डोर न टूटे,
जग रूठे पर दादा मुझसे न रूठे,
इण जनम में उण जनम में,
सो जनम में साथ न छुटे,
म्हारा प्यारा गुरूसा।।
आया रे कुशल गुरु दरबार,
छाई है दिल में खुशी अपार,
बड़े भाव से आया चाव से,
सँग लाया हाँ परिवार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।।
गायिका – मिनल जैन हैदराबाद।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365