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तुलसी सुमर संसार सार दे,
तीनों वर्णों से ये,
तीन लोक तार दे।।
तर्ज – पलकों का घर तैयार सांवरे।
नयी कलाएं लेकर उतरे,
वसुंधरा पर तुलसी,
धरती नभ तक खूब पसारी,
बांटी घर घर तुलसी,
तेरा पुरुषार्थ सिद्धि का भंडार दे,
तुलसी सुमर संसार सार दें।।
तेरा दिव्य दीदार सामने,
उभर उभर कर आता,
तेजस्वी आँखों से छलका,
प्रेम सरस सरसाता,
तेरी मोहक छवि सुख संचार दे,
तुलसी सुमर संसार सार दें।।
तूने मानव को मानव,
जीवन का मूल्य बताया,
कल्पवृक्ष सा कामधेनु,
चिंतामणि तुल्य बताया,
सारी आशाओं को नए आकार दें,
तुलसी सुमर संसार सार दें।।
भारत में अवतार तुम्हारा,
नियति का वरदान,
भिक्षु शासन में नौंवा पद,
अद् भुत थे अवदान,
आशीर्वादों की दुनियां को बौछार दें,
तुलसी सुमर संसार सार दें।।
तुलसी सुमर संसार सार दे,
तीनों वर्णों से ये,
तीन लोक तार दे।।
गायक / प्रेषक – कैलाश नौलखा।
काठमांडू(नेपाल)
977-9851171476