आया हूँ मैया दर पे तुम्हारे तुमसे मिलने को | aaya hun maiya dar pe tumhare tumse milne ko

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आया हूँ मैया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

दुनिया की फिकर है ना,
किसी का है डर मुझे,
बस एक तमन्ना है की,
मैं देख लूं तुझे,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

आते है लोग आपके,
दीदार के लिए,
नज़रे करम तो करदो,
बीमार के लिए,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

हम तो कभी किसी का,
बुरा सोचते नही,
हमसे ना जाने क्यों,
ये ज़माना खिलाफ है,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

अपने दरबार से कुछ,
भीख दया की दे दो,
जिसलिए लोग तेरे,
दर पे चले आते है,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

तुम्हारे दर पे मैं,
फरियाद लेके आया हूं,
तुम्हे सुनाने को,
पैगाम संग मैं लाया हूं,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

दरबार से उनके कोई,
खाली नहीं गया,
मायूस होके दर से,
सवाली नही गया,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

हम सब का मेरी मैया,
ऐसा नसीब हो,
जब जब तुझे पुकारे,
वो तेरे करीब हो,
आया हूं मईया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

आया हूँ मैया दर पे तुम्हारे,
सब कुछ मैं अपना छोड़के,
तुमसे मिलने को।।

गायक – अविनाश झनकार।
प्रेषक – सुनील रैकवार।
7974452929

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