आये है दिन नवरातों के,
मेरी मैया के जगरातों के,
जिस घर में माँ की,
ज्योत जगाई जाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
देखे – जगराते की रात है।
तू खर्चा कर नवरातों में,
तू खर्चा कर जगरातों पे,
फिर देख तू माँ कैसे,
तक़दीर बनाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
जिस घर में होते नौरातें,
वहां माँ के पैर है पड़ जाते,
उस घर की लुगाई,
सेठानी कहलाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
जब देती माँ देती जाए,
लाखों के करोडों बन जाए,
महंगी चीजें सस्ती लगने,
लग जाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
तेरी किस्मत बंद है ताले में,
और चाबी माँ के हवाले में,
कहता है ‘पवन’,
मैया वो चाबी घुमाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
आये है दिन नवरातों के,
मेरी मैया के जगरातों के,
जिस घर में माँ की,
ज्योत जगाई जाती है,
माँ नवरातों में,
धन बरसाने आती है।bd।
गायक – राजू मेहरा जी।
https://youtu.be/Py8WN23d2K0