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रघुनाथ के चरणों में,
दे दो जीवन की नाव रे,
जो उनसे दया पाए,
तक़दीर संवर जाए।bd।
तर्ज – अखियों के झरोखों से।
विश्वास को तू अपने,
कभी खोने नहीं देना,
चरणों से अलग,
इस मन को कभी,
तुम होने नहीं देना,
सत छोड़ कुपथ पर तू,
कभी देना ना पाँव रे,
जो उनसे दया पाए,
तक़दीर संवर जाए।bd।
जो भी ईश्वर की भक्ति में,
तन मन से लगा है,
पहरा करने उसका प्रभु,
हमेशा जगा है,
उसपे ना किसी का भी,
चलता है दाव रे,
जो उनसे दया पाए,
तक़दीर संवर जाए।bd।
रघुनाथ के चरणों में,
दे दो जीवन की नाव रे,
जो उनसे दया पाए,
तक़दीर संवर जाए।bd।
Singer – Dhiraj Kant