दशा मुझ दीन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा।
दोहा – कन्हैया को एक रोज रोकर पुकारा,
कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा,
वो बोले की साधन किया तूने क्या है,
मैं बोला किसे तूने साधन से तारा,
वो बोले परेशां हूँ तेरी बहस से,
मैं बोला की कहदो तू जीता मैं हारा,
मैं बोला की कहदो तू जीता मैं हारा।
दशा मुझ दीन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा,
अगर चरणों की सेवा में,
लगा लोगे तो क्या होगा।।
मैं पापी पातकी हूँ और,
नामी पाप हर तुम हो,
जो लज्जा दोनों नामों की,
बचा लोगे तो क्या होगा,
दशा मुझ दिंन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा।।
जिन्होंने तुमको करुणाकर,
पतित पावन बनाया है,
उन्ही पतितों को तुम पावन,
बना लोगे तो क्या होगा,
दशा मुझ दिंन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा।।
यहाँ सब मुझसे कहते है,
तू मेरा है तू मेरा है,
मैं किसका हूँ ये झगड़ा तुम,
छुड़ा दोगे तो क्या होगा,
दशा मुझ दिंन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा।।
अजामिल गिद्ध गणिका जिस,
दया गंगा में बहते है,
उसी में ‘बिन्दु’ सा पापी,
मिला दोगे तो क्या होगा,
दशा मुझ दिंन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा।।
दशा मुझ दिंन की भगवन,
संभालोगे तो क्या होगा,
अगर चरणों की सेवा में,
लगा लोगे तो क्या होगा।।
Singer : Santosh Upadhyay
Lyrics : Bindu Ji