बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर दे | baba meri kismat buland kar de

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बाबा मेरी किस्मत,
बुलंद कर दे,
बुलंद कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे,
हाजरी न छूटे,
अनुबंध कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे।।

तर्ज – शादी के लिए रजामंद।

यूँ तो तेरे खाटू नगर में,
हर रात ग्यारस की रात है,
क्या फागण क्या सावण वहां पर,
किरपा बरसती दिन रात है,
मुझपे भी किरपा तेरी,
चंद कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे।।

नाज है मुझको किस्मत पे मेरी,
मैंने तुम्हारा दर पा लिया,
सेवा पूजा कुछ भी न जानूं,
तूने तो फिर भी अपना लिया,
दर दर भटकाना,
अब तो बन्द कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे।।

धन दौलत की परवाह नही है,
अपनी मुलाकात होती रहे,
जब तक सांस चले मेरे घर में,
बाबा तुम्हारी ज्योती रहे,
‘अम्बरीष’ मांगे,
भग्तों को आनंद कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे।।

बाबा मेरी किस्मत,
बुलंद कर दे,
बुलंद कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे,
हाजरी न छूटे,
अनुबंध कर दे,
हर ग्यारस पे मिलने का,
प्रबंध कर दे।।

Singer / Lyrics – Ambrish Kumar Mumbai
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