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कान्हा ले गयी जिया,
तेरी मुरली मधुर।
दोहा – मोहन नैना आपके,
नौका के आधार,
जो जन इनमे बस गए,
सो जन हे गए पार।
कान्हा ले गयी जिया,
तेरी मुरली मधुर,
कैसा जादू किया,
भूली मैं तो अपनी डगर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।
तर्ज – सईया ले गयी जिया।
पहले ये बाजे मधुवन में,
अब तो ये बाजे वन वन में,
क्या करूँ आली मैं तो,
जाऊं किधर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।bd।
माना ये मुरली प्यारी है,
फिर भी ये सौत हमारी है,
हमसे ज्यादा प्रीत लगाई,
रहती अधर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।bd।
कबसे ये मुरली बजाई है,
तबसे नींद नहीं आयी है,
सुन सुन के हम सबके दिल में,
उठती लहर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।bd।
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर,
कैसा जादू किया,
भूली मैं तो अपनी डगर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।
गायक – चंद्र प्रकाश शर्मा।}]