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एक नजर बाबा,
हम पे भी डालो,
बीच मझधार से,
हमको निकालो,
एक नज़र बाबा,
हम पे भी डालो।।
मंदिर के आँगन में,
खड़ा हूँ मैं कोने,
पाप करम अपने,
लगा हूँ मैं धोने,
फूलों की बहार में,
हमें भी सजा लो,
बीच मझधार से,
हमको निकालो,
एक नज़र बाबा,
हम पे भी डालो।।
आपस की बात है क्यूँ,
दुनिया को सुनाये,
मेरे हालात पे क्यूँ,
जग को हंसाये,
बैठा हूँ द्वार पे,
बात मत उछालो,
बीच मझधार से,
हमको निकालो,
एक नज़र बाबा,
हम पे भी डालो।।
ऐसा क्या नसीब मेरा,
पास होके दूर हूँ,
मैं तो दीवाना तेरा,
बड़ा मजबूर हूँ,
दुनिया की मार से,
‘सज्जन’ को बचा लो,
बीच मझधार से,
हमको निकालो,
एक नज़र बाबा,
हम पे भी डालो।।
एक नजर बाबा,
हम पे भी डालो,
बीच मझधार से,
हमको निकालो,
एक नज़र बाबा,
हम पे भी डालो।।
Singer – Rohit Sharma}]