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वारि मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ,
कमलनयन बलि,
जाऊं वदनकी,
शोभित नेन्ही नेन्ही,
दूधकी द्वे दतियाँ,
वारी मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ।।
राग – आसावरी।
यह मेरी यह तेरी,
यह बाबा नन्दजू की,
यह बलभद्र भैया की,
यह ताकि जो,
झूलावे तेरो पलना,
ईंहां ते चली,
खर खात पीवत जल,
परिहरो रुदन,
हसो मेरे ललना,
वारी मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ।।
रुनक झूनक पग,
बाजत पैजनियाँ,
अलबल कलबल,
बोलो मृदु बनियाँ,
परमानंद प्रभु,
त्रिभुवन ठाकुर,
जाय झूलावे बाबा,
नंद्जू की रनियाँ,
वारी मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ।।
वारि मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ,
कमलनयन बलि,
जाऊं वदनकी,
शोभित नेन्ही नेन्ही,
दूधकी द्वे दतियाँ,
वारी मेरे लटकन,
पग धरो छतियाँ।।
स्वर – भगवती प्रसाद गन्धर्व जी।}]