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म्हारे बाबुल रो आयो रे संदेश,
ले चालो म्हाने पिहरिये,
ले चालो म्हाने पिहरिये,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
तर्ज – म्हणे पिहरियो सो लागे।
ग्यारह महीना गिन गिन काटा,
आयो फाल्गुन मास,
बाबुल से मिलने की खातिर,
हिवड़े में जागी म्हारे आस,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
बाबुल म्हारो भोलो ढालो,
ना जाने कोई रीत,
टाबरियारी बाट उडिके,
मायड़ बाबुल री या प्रीत,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
बचपन का दिन याद करा हा,
आंख्या जावे भीज,
झालो देवे आंगनों जी,
आवे जब सावनियरी तीज,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
‘अन्नू’ मेले पाछे आवा,
जीव घणो दुख पाए,
सिर पर हाथ फिराकर बाबुल,
हिवड़े सु लेवे लिपटाये,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
म्हारे बाबुल रो आयो रे संदेश,
ले चालो म्हाने पिहरिये,
ले चालो म्हाने पिहरिये,
ले चालो म्हाने पिहरिये।।
Singer – Rohit Sharma (Jimmy)
Writer – Anup Kumar Sharma Kolkata
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